क्या हमारा छोटा हो रहा दिमाग हमें बना रहा है मंदबुद्धि
आज से 20000 वर्ष पहले के मानव की अपेक्षा आज के मानव का दिमाग अपेक्षाकृत छोटा हो गया है. इसकी वजह क्या है और क्या इससे हमारी विचारशक्ति पर असर पड रहा है? दुनिया के वैज्ञानिकों की राय इस विषय पर अलग अलग है.
डिस्कवर पत्रिका के अनुसार आज से 20000 वर्ष पहले के मानव के दिमाग के कद की अपेक्षा आज के मानव के दिमाग का घनत्व 1500 क्यूबिक सेंटीमीटर कम हो गया है. यह बदलाव करीब एक टेनिस की गेंद के जितना है. यह बदलाव दोनों लिंग नर और मादा के दिमाग पर लागू हुआ है. क्या इसका असर हमारे सोचने समझने की शक्ति पर पडा है?
यूनिवर्सिटी ऑफ वाइसकोंसिन के जॉन हॉक्स के अनुसार ऐसा नहीं है. इंसान का दिमाग छोटा हुआ है परंतु साथ साथ परिष्कृत भी. आज का मानव पहले की अपेक्षा अधिक कार्यकुशल बना है. हॉक्स के अनुसार दिमाग का कद घटना मंदबुद्धि के आने का लक्षण नहीं है. परंतु एक अन्य शोधकर्ता कैथेलिन मैकऑलिफ उनसे सहमत नहीं है. कैथरिन के अनुसार दिमाग के छोटे होने का असर विचारशक्ति पर पडा है.
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार आज के मानव का जीवन अपेक्षाकृत काफी सरल हो गया है. पहले के मानव को अपना जीवन बचाने और गुजारा करने के लिए अनेक कठिनाईयों का सामना करना पडता था. ठंड से बचने से लेकर खाने का जुगाड़ बनाने तक हर पल मानव को सजग रहना पडता था और इसलिए उसका दिमाग भी बडा था. आज भोजन से लेकर अन्य कई जीवनजरूरी चीजें सर्वसुलभ है और इस वजह से हमारे दिमाग के बढने का क्रम भी रूका हुआ है बल्कि ऊल्टे गियर पर जा रहा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी के डेविड गियरी और ड्रु बैली के अनुसार दिमाग के छोटे होने का क्रम तब शुरू हुआ होगा जब इंसान ने समूह बनाकर रहना शुरू किया और परिवारवाद पनपा. परिवार में रहने की कला सीखने की वजह से इंसान के लिए कठिनाईयों का सामना करना थोडा सरल हो गया और उसने दिमाग का इस्तेमाल करना धीरे धीरे कम कर दिया. फलस्वरूप दिमाग का कद बढना रूक गया.
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